नमस्कार दोस्तों, इंडियन यूनिटी क्लब में आपका स्वागत है। कहानियाँ मानव जीवन में हमेशा से आवश्यक एवं मनोरंजन का साधन रही हैं। कहानियाँ ना हो तो मानव जीवन की कल्पना करना बहुत कठिन हैं। प्रेरणा दायक बाल कहानियाँ बच्चों में, छात्रों में काफी लोकप्रिय होती हैं, और बहुत जरुरी भी होती हैं। इस पोस्ट में हम प्रस्तुत कर रहें हैं एक शिक्षाप्रद कहानी जिसका शीर्षक है - "ईमानदारी और सच्चाई का परिचय"।
{getToc} $title={Table of Contents}
कहानी: ईमानदारी और सच्चाई का परिचय
एक गांव था समरपुर वहां एक लड़का अपने माँ के साथ रहता था। लड़के का नाम मोनू था। मोनू के पिताजी की मृत्यु बहुत पहले ही हो गयी थी। मोनू कक्षा 10 वीं का छात्र था। मोनू की माँ हमेशा मोनू को सच्चाई और ईमानदारी की बातें बताया करती थी। मोनू भी कक्षा में हमेशा अच्छे और मेहनत कर पढ़ाई करता था।
मोनू के पिताजी एक सुनार की दुकान पर काम करते थे। उनकी मृत्यु के बाद सोनार ने वह नौकरी माँ को दे दी। माँ की पगार से घर का और मोनू की पढ़ाई का खर्चा चलता था। सोनार मोनू और उसकी माँ के मेहनत से खुश था और इसलिए उसने मोनू को भी अपने दुकान में छोटे मोटे काम काज सीखाने के लिए रख लिया था। दोपहर 2 बजे छुट्टी होते ही मोनू दौड़ कर सोनार की दुकान पर पहुँच जाता। सोनार उसे हमेशा ही स्कूल जाने के लिए प्रेरित करता था। मोनू को छूट थी कि वह दुकान पर 2 बजे बाद ही आता।
सोनार की दुकान पर एक सोमन नाम का व्यक्ति भी काम करता था। वह सोनार की मोनू व उसकी माँ पर किये गए दया भाव से जलता था। एक दिन शाम को दुकान बंद करते हुए सोनार ने एक बक्सा सोनू को दिया और बोले ” मैं कहीं जा रहा हुँ। इसमें कीमती हीरे जेवरात हैं, संभाल के ले जाना और मेरे घर पर छोड़ देना।” सोनू ने बक्सा लिया और चल पड़ा सोनार के घर की तरफ। जाते समय सोमन भी साथ हो लिया और उसने मोनू से कहा तुम्हारे घर में गरीबी है इसलिए तुम इन हीरे जेवरातों से अपनी गरीबी मिटा लो, इसे मुझसे दे दो मैं तुम्हे चोर बाजार से इनकी अच्छी कीमत दिलाऊंगा।
यह बात सुन मोनू ने सोमन से कहा, सोनार ने मुझे यह काम करने को कहा है इसलिए यह मेरा फर्ज है की मैं मेहनत और ईमानदारी से इस काम को पूरा करूँ। अतः आप मुझे अनुचित राय ना दे जब हम मुसीबत में थे तब उन्होंने हमारी मदद की थी इसलिए मैं उनको और किसी को भी नुकसान नही पहुचा सकता हूँ। यह बात सोनार एक पेड़ के पीछे से सुन रहा था और उसे मोनू पर गर्व हुआ। अगले दिन दोपहर को जब वह दुकान पर पहुंचा तो सोनार ने उसे अपने पास बुलाया और कहा कल जो तुमने मेरे द्वारा दिए गए सामान को घर पहुँचा कर अपने ईमानदारी और सच्चाई का परिचय दिया है। आज से मैं तुम्हे और अपने दुकान का मैनेजर बनाता हूँ। और फिर सोनार ने धोकेबाज सोमन को भी अपने दुकान से निकल दिया।
इस कहानी से सीख
- हमेशा सत्य बोलो।
- अपने काम में ईमानदारी बरतें।
- बुरे व्यक्तियों से हमेशा दूरी बनाए रखें।
- वफादार आपके व्यवसाय को बढ़ाते हैं।
- निष्ठावान लोगों का सम्मान करें।
धन्यवाद!!!
दोस्तों, उम्मीद है आपको यह कहानी से कुछ सिखने को मिला होगा। ऐसे ही और शिक्षाप्रद कहानियों को पढ़ने के लिए हमारे वेबसाइट को जरुर बुकमार्क करें। इंडियन यूनिटी क्लब के लेटेस्ट अपडेट पाने के लिए और हमसे जुड़ें रहने के लिए हमें हमारे Facebook, Twitter, Instagram, और Telegram में जरूर फ़ॉलो करें। धन्यवाद!!!