कहानी: भगवान हर जगह हैं


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कहानी: भगवान हर जगह हैं

कांतिपुर नाम के गाँव में माधवदास नाम का व्यक्ति रहता था वह पेशे से किसान था। माधवदास के दो पुत्र थे बड़े का नाम सोनू और छोटे का नाम मोनू था। माधवदास अपने बेटों से बहुत प्यार करता था और नित्य सोने से पहले अच्छी-अच्छी बातें बताता था। वह हमेशा अपने बेटों से कहता था भगवान हर जगह हैं। सोनू-मोनू हमेशा इधर-उधर देख पूछा करते थे की “पिताजी! भगवान हर जगह हैं तो वह हमें कहीं दिखाई क्यों नहीं देते हैं।”

माधवदास फिर कहता “हम भगवान को देख नहीं सकते किंतु वह हर जगह हैं, और हमारे सभी कामों को देखते रहते हैं। माधवदास बातों से जितना कुशल था, कार्य करने में काफी लापरवाही भी करता था। दोनो बेटे पिताजी की बात को अच्छे से सुनते थे और याद कर लिया था। वह अपने संगी साथियों से भी भगवान सभी जगह होने की बात करते थे।

एक गर्मी के मौसम में, कांतिपुर में भीषण आकाल पड़ा। गांव के लोग पानी के लिए बहुत तरस रहे थे। जिन किसानों ने पहले से मेहनत की उनके फसल लह लाह रहे थे। माधवदास मन से तो था अच्छा इंसान परंतु किसानी करने में लापरवाह था। इसी के चलते आकाल आने से पूर्व खेती ना करने की वजह से उसके खेतों में कुछ नही हुआ।

एक दिन वह अपने दोनो बेटों को लेकर रात के अंधेरे में वह गांव से बाहर दूसरे किसान के खेत में गया। वह दूसरे किसान के खेत में चोरी से अनाज का फसल काटकर घर लाना चाहता था । उसने अपने दोनों बेटों को खेत के एक एक मोड़ पे खड़ा कर दिया और कहा कोई इधर आये या आता दिखाई दे मुझे तुरंत बता कर पेड़ों के पीछे छुप जाना। बड़े बेटे ने पूछा पिता जी हम क्या कर रहे हैं, तब माधवदास ने जवाब दिया कि हम कुछ अनाज चुपके से ले जा रहे हैं।

दोनों बेटे अपने-अपने मोड़ पर जाकर खड़े हो गए तभी माधवदास कुछ अनाज काटने की तैयारी करने लगा तभी सोनू ने मोनू से कहा क्या तुम्हें नहीं लगता हमें कोई देख रहा है। तब मोनू ने कहा कि पिताजी ने बताया था कि भगवान सभी को देखते हैं वह हर जगह हैं। जरूर वह पिताजी के इस गलत काम को भी देख रहे होंगे हमें पिताजी को इसकी सूचना देनी चाहिए और सोनू-मोनू दौड़ते हुए अपने पिताजी के पास गए और कहा पिताजी रुकिए हमें कोई देख रहा है। माधवदास ने कहा कौन देख रहा है हमें कौन आया है।

मोनू ने कहा हमें भगवान देख रहे हैं, वह हर जगह हैं, और हमारे हर अच्छे बुरे काम को देखते हैं। अब माधवदास को एहसास हुआ कि वह किस गलत रास्ते पर चल पड़ा था उसे मेहनत करनी चाहिए थी ना की चोरी अपने बेटे को शिक्षा देकर खुद उस शिक्षा पर अमल नहीं कर पाया इस बात का उसे अफसोस हुआ और उसने अनाज की चोरी का खयाल अपने दिमाग से निकाल कर अपने बेटों के साथ घर की ओर चल पड़ा। उसने प्रण किया कि वह आगे से मेहनत करेगा। उसे अपने दोनों बेटों पर बहुत गर्व हो रहा था जिन्होंने उसे सही रास्ते पर लाया।

इस कहानी से सीख

  • हमेशा ईश्वर पर विश्वास रखें।
  • जो आप दूसरों को सिखाते हैं, पहले आप खुद का अनुसरण करें।
  • जीवन में कभी भी झूठा और गलत रास्ता न अपनाएं।
  • अपने बच्चों को अच्छी चीजों के बारे में सिखाएं।
  • छोटे लोग भी हमें कई चीजें सीखा सकते हैं।

धन्यवाद!!!

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